क्या खत्म हुई शरद पावर की राजनीति, उद्धव ठाकरे को तो मिलेगा लास्ट चांस, शिंदे करेंगे खेल, महाराष्ट्र में पिक्चर बाकी है

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में महायुति की जीत, महाविकास अघाड़ी की हार के बाद राजनीति और गरम हो गई है। महायुति की सरकार बनेगी और देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे, यह भी तय है। यूबीटी और शरद पवार की पराजय विपक्ष की ताकत खत्म हो चुकी है। ब

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महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में महायुति की जीत, महाविकास अघाड़ी की हार के बाद राजनीति और गरम हो गई है। महायुति की सरकार बनेगी और देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे, यह भी तय है। यूबीटी और शरद पवार की पराजय विपक्ष की ताकत खत्म हो चुकी है। बीजेपी को 132 सीटों पर जीत मिली है, इसलिए सरकार भी अगले पांच साल स्थिर रहेगी। हालांकि अब राजनीतिक हलको में उद्धव ठाकरे की पार्टी यूबीटी और शरद पवार के भविष्य पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा और कई ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब मिलना बाकी है। इसमें एक सवाल है कि नई सरकार शपथ कब लेगी। क्या फिर दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला चलेगा?

फिर आया ढाई साल का फॉर्मूला, एकनाथ शिंदे का क्या होगा,?

चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली शिवसेना ने एक बार फिर एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना है, मगर सीएम 132 सीट जीतने वाली बीजेपी के होंगे। महायुति की बहस का विषय है कि इस बड़ी जीत के मैन ऑफ द मैच कौन हैं? एकनाथ शिंदे, जिनकी सरकार ने एंटी इम्कबेंसी के खतरे को पूरी तरह फेल कर दिया या देवेंद्र फडणवीस, जिन्होंने पूरे चुनाव की रणनीति बनाई। फडणवीस महायुति की सरकार की रीढ़ की हड्डी बने रहे और ढाई साल तक सरकार को विवाद से दूर रखा। बीजेपी ने शिंदे सरकार के स्थायित्व के लिए उन्हें डिप्टी सीएम बनाया था। चर्चा है कि महायुति में बारी-बारी ढाई-ढाई साल के सीएम की बात हो रही है। पहला ढाई साल बीजेपी के सीएम होंगे, उसके बाद शिंदे की बारी आएगी। बताया जा रहा है कि पहले ढाई साल के दौरान शिंदे का क्या होगा, यह बड़ा सवाल है।

असली शिवसेना पर जनता की मुहर, क्या फिर टूटेगी उद्धव की पार्टी

विधानसभा चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे की ताकत उद्धव ठाकरे से दोगुनी हो गई है। लोकसभा चुनाव में अघाड़ी की जीत हुई थी और 30 सीटों में से उद्धव ठाकरे की यूबीटी ने 9 सीटें जीतीं। शिंदे सेना ने भी 7 सीटों पर परचम लहराया था। असली और नकली शिवसेना का फाइनल मुकाबला विधानसभा चुनाव में हुआ, जिसमें शिंदे 57 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बन गई। सॉफ्ट हिंदुत्व की बात करने वाले उद्धव सेना 20 सीटों पर सिमट गई, जिनमें 10 सीटें उसे सिर्फ मुंबई में मिली। शिंदे सेना को मुंबई में सिर्फ 6 सीटें मिलीं, मगर पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण, विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में 51 सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे को तगड़ी पटखनी दी। इन इलाकों की ग्रामीण सीटों पर भी शिंदे का जलवा रहा। इस दौरान एकनाथ शिंदे ने बाला साहेब के हिंदुत्व को जनता के बीच में रखा। अब उद्धव के पास अपने विधायकों को पांच साल तक सहेजकर रखने की चुनौती बनी है।

मुंबई के बीएमसी चुनाव तय होगा उद्धव सेना का भविष्य

उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) की ताकत का असली परीक्षा मुंबई के बीएमसी चुनाव में होगा। देश के सबसे अमीर निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम पर अभी शिवसेना का कब्जा है। शिवसेना पिछले 30 साल से बीएमसी की सत्ता पर काबिज है। 2017 के निकाय चुनाव में बीजेपी बड़े कम अंतर से बड़ी पार्टी बनने से चूक गई थी। इसके बाद कोरोना के कारण 2022 में चुनाव नहीं हुए। चुनाव दो साल तक टलता रहा। अब महायुति की सरकार बनने के बाद बीएमसी चुनाव कराए जाएंगे। विधानसभा चुनाव में महायुति ने अघाड़ी को पछाड़ दिया है। महाविकास अघाड़ी को मुंबई की 36 सीटों में से सिर्फ 14 पर जीत मिली, महायुति ने 22 पर अपना परचम लहराया। बीजेपी ने अकेले 15 सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। अगर बीएमसी चुनाव उद्धव सेना हारती है तो बाल ठाकरे के राजनीति उत्तराधिकारी एकनाथ शिंदे आसानी से हो जाएंगे।

क्या खत्म हो गया शरद पवार का जादू, अजित बने राजनीतिक वारिस

महाराष्ट्र में अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव पांच साल के बाद ही होंगे। इस बीच केंद्र या महाराष्ट्र की सत्ता में बड़ा उलटफेर होने की संभावना भी खत्म हो गई है। अब सारा दारोमदार पंचायत और निकाय चुनाव पर टिका रहेगा। चर्चा यह भी रहा है कि मराठा राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार का यह आखिरी चुनाव था। उन्होंने खुद ही एक चुनावी जनसभा में चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। हालांकि इस पर टिप्पणी करते हुए अजित पवार ने कहा था कि शरद पवार की मन की बात सिर्फ वही जानते हैं, उनके लिए कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। विधानसभा चुनाव में चाचा शरद के 10 से चौगुनी 41 विधानसभा सीट जीतकर साबित कर दिया कि वह पवार फैमिली की विरासत संभालने को तैयार हैं। एनसीपी के नेता मानते हैं कि अगर अजित पवार किसी परिस्थिति में सीएम बने तो एनसीपी-एसपी पूरी तरह से उनके समर्थन में आ जाएगी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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